पटना. जिले में सबसे अधिक यौन उत्पीडऩ की शिकार स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत महिलाएं होती हैं। इक्विटी फाउंडेशन के सर्वे परिणाम में ये बातें सामने आई। सर्वे में यह बात उभरकर आई कि पटना मेडिकल कालेज एंड हॉस्पिटल में पढऩे वाली नर्सों में 80 प्रतिशत यौन उत्पीडऩ व यौन हिंसा की शिकार होती हैं।
आंकड़ों की सत्यता पर पीएमसीएच की डॉक्टर रश्मि प्रसाद ने मुहर लगा दी। उन्होंने बताया कि नर्सों को डाक्टरों के अतिरिक्त पुरुष मरीजों व उनके परिजन भी उत्पीडि़त करते हैं। डॉक्टर रश्मि प्रसाद यौन उत्पीडऩ निषेध पर आयोजित एक दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यशाला में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के 'विशाखा गाइडलाइन' के बावजूद अब तक महिला उत्पीडऩ से संबंधित कोई भी कम्प्लेन कमेटी का गठन नहीं किया गया है।
सुबह नहीं पीते हैं पानी
डॉक्टर रश्मि ने कहा कि केवल नर्स ही नहीं बल्कि कई बार महिला डाक्टरों को भी उत्पीडऩ का शिकार होना पड़ता है। उन्होंने बताया कि पीएमसीएच के कई विभागों में महिला डॉक्टरों के लिए अलग प्रसाधन तक उपलब्ध नहीं है। शौचालय जाने की नौबत नहीं आए इसलिए कई महिला डॉक्टर सुबह पानी नहीं पीते हैं।
सदन में लेते है चटखारा
विधान पार्षद किरण घई ने कहा कि महिला संबंधी बातों में कई विधायक एवं पार्षद भी चटखारा लगाने से बाज नहीं आते। अगर वह कमजोर पड़ती है तो छींटाकशी तक की जाती है। उन्होंने कहा कि आज यौन उत्पीडऩ के बारे में सभी जानते है बावजूद इसके इसमें कमी नहीं हो रही हैं।
क्या है विशाखा गाईडलाईन ?
कार्य क्षेत्र में होने वाले यौन उत्पीडऩ को रोकने के लिए 13 अगस्त 1997 को उच्चतम न्यायालय ने विशाखा गाइडलाइन जारी किया। जिससे महिलाएं अपने कार्यक्षेत्र में भयमुक्तऔर सम्मान के साथ काम कर सके।
मुख्य अनुशंसा
नियोक्ता अपने कर्मचारियों के बीच यौन उत्पीडऩ रोकने के लिए वातावरण बनाएगा।
प्रत्येक कार्यालय में यौन उत्पीडऩ की शिकायत दर्ज कराने की व्यवस्था होगी।
जांच के लिए शिकायत कमेटी होगी, जिसकी मुखिया कोई महिला होगी।
कमेटी में महिलाओं की संख्या अधिक होगी।
यौन उत्पीडऩ कानून का उल्लंघन करने वालों पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी। Source: भास्कर न्यूज़| Last Updated 01:55(22/12/11)
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